कहानी संग्रह >> कछुआ और खरगोश कछुआ और खरगोशबलभद्र
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‘कछुआ और खरगोश’ डॉ. जाकिर हुसैन की ऐसी ही ज्ञानवर्द्धक कहानियों का संकलन है, जिसमें पशु-पक्षियों के बहाने मनुष्य के जीवन के विभिन्न पक्षों को उकेरा गया है।
‘कछुआ और खरगोश’ डॉ. जाकिर हुसैन की ऐसी ही ज्ञानवर्द्धक कहानियों का संकलन है, जिसमें पशु-पक्षियों के बहाने मनुष्य के जीवन के विभिन्न पक्षों को उकेरा गया है।
‘कछुआ और खरगोश’ कहानी में विद्वानों और शिक्षकों पर तीखा व्यंग्य किया गया है जो अपने ज्ञान के जाल में मकड़ी की तरह स्वयं उलझ जाते हैं। वास्तविकता और वास्तविक तथ्यों की ओर ध्यान न देकर इधर-उधर भटकते हैं और दूसरों को भटकाते हैं। विद्वान अपनी विद्वत्ता का प्रदर्शन करने के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो बहुत ही कठिन और गूढ़ होती है। वे यह भूल जाते हैं कि बात जिससे की जा रही है, वह उसे समझ भी रहा है या नहीं।
इस कहानी में प्रो. कपचाक़, प्रो. फ़िलकौर और अलफ़लसेफुलहिन्दी ने कहीं-कहीं ऐसी ही भाषा का प्रयोग किया है जो पढ़नेवालों के छक्के छुड़ा देती है।
कैद का जीवन जब एक बकरी के लिए इतना कष्टदायक हो सकता है, तो मनुष्य के लिए कितना होगा - यह जानकारी हमें ‘अब्बू खाँ की बकरी’ से मिलती है जिसे आज़ादी के लिए अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
इसी तरह ‘मुर्गी चली अजमेर’, ‘उसी से ठंडा उसी से गरम’, ‘जुलाहा और बनिया’, ‘सच्ची मुहब्बत’, ‘सईदा की अम्मा’ आदि ऐसी कहानियाँ हैं, जो जीवन के विभिन्न पक्षों को अपनी मनोरंजक शैली में प्रस्तुत करती हैं। बच्चों के लिए लिखी गई ये कहानियाँ बड़ों के लिए भी उपयोगी और मनोरंजक सिद्ध होंगी।
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